मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली की स्थापना सन् 2008 में हुई। यह दिल्ली सरकार का एक स्वायत्तशासी प्रतिष्ठान हैं। संचालन-समिति की प्रथम अधिसूचना प०सं० 9(35)/2007-क०स० एवं भाषा/9329-9358 के अनुसार दिनांक 03-04-2008 को हुई, जिसकी बैठक 21-04-2008 को हुई। स्थापना का लक्ष्य था- मैथिली व भोजपुरी भाषाओं व साहित्य-संस्कृति का उन्नयन व पल्लवन। मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली ने सजग रचनात्मकता के साथ अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। अकादमी ने अनेक महत्त्वपूर्ण आयोजन किए हैं। साहित्य व संस्कृति की सर्जनात्मक पक्षधर्मिता के साथ समकालीन साहित्य व संस्कृति के क्षेत्र में उसने नई बहसों को भी प्रारंभ किया। विलुप्त होती लोक-संस्कृति के उन पक्षों को प्रबल किया,जिनकी मूल्यवत्ता बची हुई है।
Tuesday, April 6, 2010
मैथिलि - भोजपुरी अकादमी, दिल्ली
कार्य एवं उददेश्य
- दिल्ली की भाषाई संस्कृति के अनिवार्य अंग के रूप में मैथिली-भोजपुरी भाषा एवं साहित्य का परिरक्षण एवं अभिवृद्धि करना।
- मैथिली-भोजपुरी के मौलिक साहित्यिक एवं शैक्षिक रचनाओं को प्रोत्साहित एवं प्रकाशित करना तथा बच्चों के लिए भी पुस्तकों का प्रकाशन करना,
- जिन साहित्यिक वैयक्तिक एवं अन्य रचनाओं का अब तक मैथिली-भोजपुरी में अनुवाद नहीं किया गया है, उनके मैथिली-भोजपुरी में अनुवाद की व्यवस्था करना,
- मैथिली-भोजपुरी के संदर्भ ग्रन्थों की रचना एवं उनका प्रकाशन करना,
- पुराने मैथिली-भोजपुरी साहित्य की समुचित सम्पादित पाठ्य पुस्तकों का प्रकाशन करना,
- अब तक प्रकाशित श्रेष्ठ रचनाओं को मैथिली-भोजपुरी में प्रकाशित करना,
- मैथिली-भोजपुरी के सुयोग्य लेखकों को रचनाओं के प्रकाशन में सहायता करना,
- पिछले एक वर्ष में मैथिली-भोजपुरी की प्रकाशित रचनाओं के लेखकों को पुरस्कृत करना,
- मैथिली-भोजपुरी के बुजुर्ग एवं जरूरतमंद लेखकों को प्रतिमाह वित्तीय सहायता प्रदान करना,
- मैथिली-भोजपुरी के अध्येताओं को उच्च अध्ययन के लिए विनिर्दिष्ट समय के लिये वित्तीय सहायता सहित अन्य सुविधायें प्रदान करना
- व्याख्यान देने के लिऐ अग्रगण्य विद्वानों एवं अन्य प्रतिष्ठित व्यक्तियों को आमंत्रित करना,
- सेमिनार, विचार गोष्ठी, सम्मेलन एवं साहित्यिक बौद्धिक प्रकृति की अन्य सभाओं का आयोजन करना तथा अन्य बातों के साथ-साथ विष्व साहित्य की प्रवृत्तियों के परिप्रेक्ष्य में मैथिली-भोजपुरी से संबंधित समस्याओं पर चर्चा सहित मैथिली-भोजपुरी पढानें एवं उसके प्रयोग के लिये सुविधायें जुटाना तथा इसी प्रकार के कार्यो में संलग्न विभिन्न साहित्यिक एवं सांस्कृति संगठनों को ऐसे प्रत्येक मामले में अधिकतम पांच सौ रूपये तक की वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए उपर्युक्त लक्ष्य के अनुसरण में सरकारी आदेशों का कार्यान्वयन करना,
- मैथिली-भोजपुरी में उच्च स्तरीय पत्र पत्रिकाओं तथा इसी प्रकार के अन्य प्रकाशनों की व्यवस्था करना,
- इन नियमों के अधीन प्रकाशित सामग्री की बिक्रि की व्यवस्था करना,
- अकादमी के लिए चल एवं अचल सम्पति का अधिग्रहण करना बर्शते कि अचल सम्पत्ति के मामलों में अधिग्रहण के लिये दिल्ली सरकार का पूर्व अनुमोदन प्राप्त किया गया है,
- सरकारी आदेशों के कार्यावयन की कठिनाइयों के साथ ही मैथिली-भोजपुरी की पढाई एवं उसके प्रयोग से संबंधित मैथिली-भोजपुरी भाषियों की मांग की ओर दिल्ली सरकार का ध्यान आकर्षित करना,
- उपर्युक्त उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए इस प्रकार के समस्त वैधानिक कार्य करना एवं वैधानिक कदम उठाना,
- सोसायटी की समस्त आय को सोसायटी के उद्देश्यों एवं लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये इस्तेमाल करना,
- मैथिली-भोजपुरी अकादमी के प्रशासनिक विभाग द्वारा समय-समय पर जारी किये जाने वाले आदेशों/निदेशों के अनुपालन को सुनिश्चत करना।
प्रशासन
डॉ० रवीन्द्र नाथ श्रीवास्तव 'परिचय दास'
सचिव
मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली
समुदाय भवन, पदम नगर, किशनगंज,
दिल्ली- 110007
फोन - 011-23699681
किए गए कार्यक्रम ( अप्रैल,2008 - सितम्बर,2009 )
क्रम संख्या | तिथि | स्थान | कार्यक्रम का नाम |
01 | 05-08-08 | श्रीराम सेंटर सभागार | भोजपुरीसांस्कृतिक कार्यक्रम |
02 | 06-08-08 | श्रीराम सेंटर सभागार | मैथिलीसांस्कृतिक कार्यक्रम |
03 | 24-12-08 | राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, वि०वि | पुरबिया मनई आ साहित्यः नयकी चुनौती : संगोष्ठी |
04 | 20-01-09 | श्रीराम सेंटर सभागार | गणतंत्र दिवस कविता-उत्सव |
05 | 19-02-09 | राजेन्द्र भवन (संगोष्ठी कक्ष) | एकल कविता-पाठ (मंत्रेश्वर झा) |
06 | 15-03-09 | त्रिवेणी सभागार, दिल्ली | कहरउ, धोबियउ नाच |
07 | 16-03-09 | त्रिवेणी सभागार, दिल्ली | थारू नाच |
08 | 17-03-09 | त्रिवेणी सभागार, दिल्ली | मैथिली सांस्कृतिक कार्यक्रम |
09 | 18-03-09 | त्रिवेणी सभागार, दिल्ली | जट-जटिन मैथिली संगी नाटक |
10 | 28-03-09 | सी०सी०आर०टी० द्वारका, दिल्ली,(संगोष्ठी कक्ष) | समकालीन सर्जनात्मकता आ साहित्य (राष्ट्रीय भोजपुरी गोष्ठी) पूर्वाह्न |
11 | 28-03-09 | सी०सी०आर०टी० द्वारका, दिल्ली, (संगोष्ठी कक्ष) | समकालीन सर्जनात्मकता आ संस्कृति (राष्ट्रीय भोजपुरी गोष्ठी) अपराह्न |
12 | 28-03-09 | सी०सी०आर०टी० द्वारका,दिल्ली | कचोट-भोजपुरी(नाटक) की प्रस्तुति(रात्रि) |
13 | 29-03-09 | सी०सी०आर०टी० द्वारका, दिल्ली, (संगोष्ठी कक्ष) | समकालीन रचनाकारक रचनात्मक दायित्व : भाषा, साहित्यक संदर्भ में (राष्ट्रीय मैथिली गोष्ठी) पूर्वाहन |
14 | 29-03-09 | सी०सी०आर०टी० द्वारका, दिल्ली, (संगोष्ठी कक्ष) | समकालीन रचनाकारक रचनात्मक दायित्व : समाज, संस्कृतिक संदर्भ में (राष्ट्रीय मैथिली गोष्ठी) अपराह्न |
15 | 29-03-09 | सी०सी०आर०टी० द्वारका, दिल्ली | किंकर्त्तव्यविमूढ (मैथिली नाटक) की प्रस्तुति (रात्रि) |
16 | 30-08-09 | इण्डिया इंटरनेषनल सेंटर, दिल्ली | मैथिली-भोजपुरी भाषा-भाषियन के दिल्ली में योगदान (संगोष्ठी) |
17 | 30-09-09 | राजेन्द्र भवन, दिल्ली | गद्य-प्रसंग |
अकादमी द्वारा किए गए कार्यक्रमो (2008 -2009 ) का विस्तृत विवरण
अकादमी ने 5 अगस्त, 2008 को 'बिदेसिया' जो कि प्रख्यात भोजपुरी लोकसर्जक भिखारी ठाकुर की रचना है, का मंचन कराया, जिसका निर्देशन संजय उपाध्याय ने किया। 6 अगस्त, 2008 को मैथिली नाटक 'पाठक लोक' (निर्देशनः प्रकाश झा) का मंचन हुआ। इसके अतिरिक्त सांस्कृतिक कार्यक्रम भी सम्पन हुए।
अकादमी ने 24 दिसम्बर, 2008 को राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान (डिम्ड विश्वविद्यालय), दिल्ली में 'पुरबिया मनई आ साहित्य : नयकी चुनौती' शीर्षक संगोष्ठी का आयोजन किया। इसकी अध्यक्षता डॉ० केदार नाथ सिंह ने की, जबकि आतिथ्य श्री केशव चंद्र(अतिरिक्त सचिव,संस्कृति व विशिष्ट सचिव, मुख्यमंत्री, दिल्ली) का रहा। प्रतिभागी थे- श्री जयशंकर गुप्त तथा डॉ० रामाशंकर श्रीवास्तव। इसमें भोजपुरी व मैथिली जनों प्रवासियों के जीवन व साहित्य संस्कृति के विभिन्न प्रसंगों पर गहन चर्चा हुई।
अकादमी ने 20 जनवरी, 2009 को गणतंत्र दिवस-उत्सव का आयोजन किया। इसकी अध्यक्षता प्रसिद्व आलोचक प्रो० नित्यानंद तिवारी ने की। यह एक नए तरह का आयोजन था, जहॉँ विशाल जन-समूह के सम्मुख देशं में पहली बार समकालीन गंभीर कविताएँ पढ़ी गयीं, जिनका न केवल श्रव्य महत्व है, बल्कि पाठ्य भी। ये कविताएँ आस्वाद से आगे हमें ले जाती हैं। मैथिली में कविता पाठ करने वाले कवि थे- श्री रवींद्र नाथ ठाकुर, डॉ० गंगेश गुंजन, श्री रमण कुमार सिंह, श्री रवींद्र लाल दास, श्री सारंग कुमार, ऑ० कामिनी कामायनी तथा भोजपुरी में कविता पाठ करने वाले थे- डॉ० चंद्रदेव यादव, प्रो० शत्रुन कुमार, श्री मनोज भावुक, श्री प्रमोद तिवारी तथा सुश्री अलका सिन्हा। मुख्य अतिथि थीं- दिल्ली सरकार की कला, संस्कृति एवं भाषा मंत्री श्रीमती किरण वालिया।
साहित्य अकादमी से सम्मानित साहित्यकार श्री मंत्रेश्वर झा का एकल कविता-पाठ 19 फरवरी , 2008 को किया गया। श्री मंत्रेश्वर झा ने इस अवसर पर कविता-पाठ के अलावा अपनी संरगृतियॉ भी सुनाई। अध्यक्षता डॉ० गंगेश गुंजन की थी।
अकादमी ने 15, 16, 17 एवं 18 मार्च, 2009 को ÷लोक संस्कृति प्रसंग' का आयोजन किया। इसमें 15 मार्च को भोजपुरी भाषा में धोबियउ व कॅहरउ नाच का आयोजन किया गया। यह अपने तरह का दिल्ली में प्रथम प्रयास था। विशिष्ट अतिथि प्रख्यात नृत्यांगना डाफ० षोभना नारायण थीं। 16 मार्च को थारू जनजाति के नाच का आयोजन किया गया। थारू जनजाति ने प्रथम बार दिल्ली में यह प्रस्तुति दी थी। विशिष्ट अतिथि (कला, संस्कृति, भाषा व शिक्षा सचिव, दिल्ली) श्रीमती रीना रे थी। 17 मार्च को मैथिली का सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हुआ, जो 'रंगभूमि' की ओर से था। विशिष्ट अतिथि प्रख्यात गायिका श्रीमती सविता देती थीं। 18 मार्च को मैथिली का सांस्कृतिक नृत्य नाटक 'जट जटिन' मंचित हुआ, जिसकी प्रस्तुति ÷स्मृति ट्रस्ट' की ओर से हुई। विशिष्ट अतिथि प्रख्यात ध्रुपद गायक श्री अभय नारायण मल्लिक थे।
रात्रि समय सजय चौधरी निर्देषित मैथिली नाटक का मंचन हुआ, जिसका शीर्षक था- 'किंकर्तव्यविमूढ़'। यह नाटक हमारे समय की त्रासदी को अन्यतम ढंग से बयॉ करता है। विशिष्ट अतिथि थे- प्रो० देवेन्द्र राज अंकुर।
इस द्विदिवसीय संगोष्ठी में साहित्य व संस्कृति पर गहरी चर्चा हुई तथा साहित्य के ऐसे प्रश्न भी चर्चित हुए, जो अन्यथा अनुद्घाटित थे।
इस वित वर्ष अकादमी के द्वारा 8 गैर सरकारी संस्थाओं को कार्यक्रम करने में सहयता की गई जिनके द्वारा साहित्यिक-सांस्कृतिक कार्यक्रम किये गये।
मैथिली-भोजपुरी की 130 पुस्तकों का क्रय इस वित वर्ष में किया गया।
28 मार्च व 29 मार्च को अकादमी ने अत्यंत विशिष्ट संगोष्ठियॉ आयोजित की। ये संगोष्ठियॉ राष्ट्रीय थीं तथा उनका विषय साहित्य व संस्कृति के महत्वपूर्ण विषयों में नया उन्मेष लाने वाले थे। भोजपुरी की राष्ट्रीय संगोष्ठी का विषय था- 'समकालीन सर्जनात्मकता आ साहित्य' तथा 'समकालीन सर्जनात्मकता आ संस्कृति'। यह संगोष्ठी दो सत्रों में थी। उद्घाटन किया- प्रख्यात आलोचक व सरस्वती सम्मान विजेता श्री षम्सुर्रहमान फार्रूकी ने। अन्य प्रतिभागी थे- श्री गोपेश्वर सिंह, श्री रवीन्द्र श्रीवास्तव, 'जुगानी भाई', डॉ० नागेंद्र प्रसाद सिंह, डॉ० सिद्धार्थ शिवशंकर, दूसरे सत्र में प्रतिभागी थे- डॉ० तैयब हुसैन पीड़ित, प्रो० वागीष शुक्ल, डॉ० प्रेम प्रकाश पाण्डेय। अध्यक्षता की डॉ० आशा रानी लालने। रात्रि में महेंद्र प्रसाद सिंह के निर्देशन में भोजपुरी नाटक ÷कचोट' का मंचन हुआ। विशिष्ट अतिथि थे- श्री सुरेंद्र कौल, महानिर्देश्क, सी०सी०आर०टी०। यह नाटक नागरिक चेतना को जगाता है। दूसरे दिन 29 मार्च, 09 को मैथिली की राष्ट्रीय संगोष्ठी ÷समकालीन रचनाकारक दायित्व : भाषा, साहित्यक संदर्भ में' तथा ÷समकालीन रचनाकारक दायित्व' समाज, संस्कृति संदर्भ में विषयों पर दो सत्रों में आयोजित की गयी। सत्रों के प्रतिभागी थे- डॉ० विद्यानाथ विदित, डॉ० शेफालिका वर्मा, डॉ० देव शकर नवीन नवीन, डॉ० नीता झा, श्री कुमार सैलेंद्र, श्री प्रदीप बिहारी, डॉ० मोहन भारद्वाज। डॉ० 'विदित' व 'भारद्वाज' ने क्रमशः प्रथम व द्वितीय दो सत्रों की अध्यक्षता की। समकालीनता सिर्फ कालवाची नहीं है तथा रचनाकार का दायित्व मनुष्यता का विस्तार है।
30 अगस्त, 2009 को इण्डिया इंटरनेश्नल सेंटर, नई दिल्ली में ÷मैथिली-भोजपुरी भाषा-भाषियन के योगदान' विषय पर संगोष्ठी आयोजित हुई, जिसकी अध्यक्षता प्रख्यात आलोचक प्रो० निर्मला जैन ने की। विशिष्ट अतिथि थे- श्री सजय गुप्त, संपादक, दैनिक जागरण। वक्ता थे- डॉ० शेफालिका वर्मा, श्री वीरेन्द्र कुमार बरनवाल, श्री जयशंकर गुप्त तथा श्री रवींद्र कुमार दास। सान्निध्य अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ० गिरीश चंद्र श्रीवास्तव का था।
30 सितंबर, 2009 को राजेंद्र भवन, नई दिल्ली में 'गद्य प्रसंग' का आयोजन किया गया, जिसमें गद्य की विभिन्न विधाओं में प्रतिभागियों ने पाठ किया। प्रतिभागी थे। सुश्री कामना झा (मैथिली कहानी), डॉ० सतीश यादव(भोजपुरी संस्मरण), मानवर्द्धन कण्ठ (मैथिली रिपोर्ताज), श्री दिनेश कुमार (भोजपुरी आलोचना-निबंध), विशिष्ट अतिथि थे- कवि, अनुवादक श्री अक्षय कुमार।
कार्यसूची
अकादमी इस वर्ष त्रैमासिक पत्रिकाओं का प्रकाशन आरंभ करेगी। पत्रिका में सर्जनात्मकता की सभी विधाओं कविता, कहानी, उपन्यास अंश, पुस्तक समीक्षा, संस्मरण, रिपोर्ताज इत्यादि को समाहित किया जाए। पत्रिका के अतिरिक्त, बजट के अनुसार अकादमी अपनी पुस्तकों के प्रकाशन का प्रयास भी करेगी। पुस्तकें समकालीन साहित्य, संस्कृति तथा विरासत में प्राप्त श्रेष्ठ रचनाकारों से संबद्ध होंगी।
पुस्तकालय की स्थापना
अकादमी अपने बजट के अनुसार पुस्तकों की खरीद कर के पुस्तकालय स्थापित करने का प्रयास हेतु प्रयत्नशील है।
संगोष्ठी / काव्य-गोष्ठी / कवि सम्मेलन
संगोठी/काव्य-गोठी/कवि सम्मेलन योजना के अंतर्गत इस वित वर्ष में निम्नलिखित कार्यक्रम आयोजित करने का प्रस्ताव है :
1 संगोष्ठी
2 कवि-गोष्ठी
3 विभिन्न विधा-केन्द्रित गोष्ठी
4 विविध विषयों पर संगोष्ठी
5 लघु संगोष्ठी / कविता पाठ / व्याख्यान
पत्र-पत्रिकाओं को विज्ञापन सहयोग
प्रस्तावित है कि इस वित वर्ष में भी मैथिली-भोजपुरी समाचार पत्र-पत्रिकाओं के लिए यह योजना लागू की जाए। उन अन्य भाषाई समाचार पत्र-पत्रिकाओं को भी यह लाभ दिया जा सकता है, जो मैथिली-भोजपुरी साहित्य-संस्कृति का प्रकाशन तथा प्रचार प्रसार करते हों। प्रस्तावित है कि अकादमी द्वारा जारी विज्ञापन प्रकाशित होने के उपरांत पत्र-पत्रिका करे 1000 रूपये का भुगतान पत्रिका के नाम से किया जाए। विशेष परिस्थितियों में 2000 रूपये का विज्ञापन सहयोग देना अकादमी का अधिकार होगा। अकादमी के राष्ट्रीय महत्व को देखते हुए यह विज्ञापन दिल्ली व दिल्ली से बाहर के समाचार पत्र-पत्रिकाओं को दिया जा सकता है।
लेखकों का सम्मान
प्रस्तावित है कि अकादमी निम्नानुसार साहित्यकारों, लेखकों, संस्कृतिकर्मियों एवं पत्रकारों आदि का सम्मानित करेगी।
प्रस्तावित है कि दो पुरस्कार 1.50 लाख (प्रत्येक) तथा तीन पुरस्कार 50,000 (प्रत्येक) के दिये जाएगे।
संस्थागत सहयोग
कार्यक्रम एवं योजनाऍ
गोष्ठी | विभिन्न साहित्यिक सांस्कृतिक व अन्य विषयों पर संगोष्ठी। |
विचार-विमश | विभिन्न वैचारिक व समकालीन प्रश्नों पर बहस। |
कविता-पाठ | महत्वपूर्ण कवियों के कविता-पाठ। |
कथा-पाठ | उल्लेखनीय कहानीकारों तथा उपन्यासकारों का कथा-पाठ। |
लोककला एवं हस्तकला / शिल्प वर्कशॉप | मधुबनी व भोजपुरी लोककलाओं तथा अन्य |
पुरस्कार अर्पण | अकादमी के पुरस्कारों का अर्पण। |
कला-परिचर्चा | समकालीन व लोककलाओं (विशेषकर मैथिली- |
संगीत कार्यक्रम | मैथिली व भोजपुरी के संगीत कार्यक्रम। |
मुलाकात | किसी संस्कृतिकर्मी से बातचीत व संस्मरण सुनना। |
फिल्म-उत्सव | मैथिली व भोजपुरी की चुनी फिल्मों का प्रदर्शन। |
कला सौंदर्य चर्चा एवं एवं प्रदर्शनी | कला के सौंदर्य पक्ष पर बातचीत तथा महत्वपूर्ण कलाकारों से संवाद एवं प्रदर्शनी। |
नृत्य उत्सव | मैथिली व भोजपुरी क्षेत्रों में प्रचलित नाचों का |
नाट्य-उत्सव | मैथिली व भोजपुरी के महत्वपूर्ण नाटकों का |
सर्वविधा-पाठ | साहित्य के गद्य की विभिन्न विधाओं तथा कविता की विभिन्न शैलियों में पाठ। |
व्याख्यान | किसी महत्वपूर्ण विचारक / लेखक / कवि का व्याख्यान। |
व्यंजन उत्सव | मैथिली-भोजपुरी व्यंजनों का उत्सव। |
वेषभूषा एवं परिधान उत्सव | मैथिली-भोजपुरी वेशभूषा का प्रदर्शन। |
कविता-उत्सव (गणतंत्र दिवस) | गणतंत्र दिवस के उपलक्ष्य में किया जाने वाला महत्वपूर्ण कविता-उत्सव। |
धरोहर | महत्वपूर्ण व दिवंगत रचनाकारों की विभिन्न |
फिल्म / फिल्म परिचर्चा | इस समय भोजपुरी व मैथिली फिल्में महत्वपूर्ण हो चुकी हैं। कुछ फिल्मों का प्रदर्शन तथा फिल्मों पर परिचर्चा। |